कुड़मी जनजाति को एसटी में शामिल करने और कुड़मी भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने की मांग को लेकर रेल चक्का जाम अब हाईवे तक पहुँच चूका है . आज शनिवार है और लगातार चौथे दिन भी जाम बदस्तूर जारी है . जाम स्थल पर कुड़मी समुदाय के लोगों की भीड़ बढती जा रही है . जिसके कारण सामान्य जन -जीवन अस्त -व्यस्त सा हो गया है . पश्चिम बंगाल के खेमाशुली में जाम का नज़ारा देखने लायक है जहाँ बंगाल, ओडिशा और झारखंड के हजारों कुड़मियों का जुटान हुआ है.जबतक इस मुद्दे पर कोई फैसला नहीं आ जाता आंदोलनकारी किसी भी कीमत पर पीछे हटने के मुड में नहीं लग रहे हैं. पारंपरिक हथियारों और वाद्य यंत्रों के साथ लोग जाम स्थल पर डेरा डाले हुए हैं . भोजन पानी के साथ -साथ गीत संगीत का कार्यक्रम माहौल को जमाये हुए है . डीजे पर झूमर लोकगीत बज रहे हैं और लोग उसकी धुन पर नाच – गा रहे हैं . ज्यों -ज्यों शाम ढलती जाती है लोगों की भीड़ बढती जाती है .
अब तो इस आन्दोलन में भारी संख्या में महिलाएं भी शामिल हो चुकी हैं . ज्ञात हो की कुड़मी नेता राजेश महतो के नेतृत्व में विगत 4 अप्रैल से हाईवे -49 को जाम रखा गया है. वहीँ 5 अप्रैल से रेलवे लाइन को जाम कर सभी आन्दोलनकारी पटरी पर डेरा डाल कर बैठ गए हैं . मालवाहक और पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन पूरी तरह से ठप्प सा पड़ गया है . जिसके कारण एक और जहाँ जनता के लिए एक स्थान से दुसरे स्थान पर आवागमन मुश्किल हो गया है . वहीँ रोजाना जरुरत के सामानों की ढुलाई भी बंद है. जिसके कारण सब्जी फलों समेत दूसरी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी वृद्धि देखने को मिल रही है . गरीबो की थाली से सब्जियां गायब हो रही हैं . ट्रेन में सामान बेच कर आजीविका चलाने वाले वेंडरों के सामने रोजी रोटी की समस्या आन खड़ी हुई है . कुल मिलाकर इस आन्दोलन से स्थिति और भी विकट होती चली जा रही है . मगर सरकार के स्तर से इस दिशा में कोई भी पहल नहीं की जा रही है जो गहन चिंता का विषय है . इधर आन्दोलनकारी एक इंच भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं दिखते . आदिवासी कुड़मी समाज के नेताओं ने साफ कर दिया है कि जब तक उनकी मांगें मानी नहीं जाएंगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा .