रामगढ़ जिले के चितरपुर प्रखण्ड के अन्तर्गत कुंद्रुखुर्द पंचायत में वैध मुकुल मुंडा जी और अन्य क्षेत्रीय आदिवासी चिकित्सकों के साथ बैठक का आयोजन किया गया , जिसमें पारम्परिक आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को सुदृढ और विकसित करने के लिए संगठन का होना अति आवश्यक बताया गया, बैठक में विशेष रूप से आमंत्रित पीरामल स्वास्थ्य के जिला समन्वयक अनूप सिंह द्वारा बताया गया कि भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति प्रसिद्ध वैश्विक पारम्परिक चिकित्सा में से एक है, आज समूचे विश्व में असम्यक जीवन पद्धति के कारण नित नई बीमारियों का प्रदुर्भाव हो चुका है समस्त विश्व नित नई बीमारियां खेल रहा है जो कि मानव जाति के अस्तित्व के लिए खतरा है इस परिपेक्ष मे आयुर्वेदोक्त आहार एवं विहार का सम्यक सेवन ही मानव जाति के स्वास्थ्य तथा भविष्य के लिए कारगर है।, स्थानीय वैध जी लोगों द्वारा बताया गया कि आयुर्वेदिक दर्शन के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों जल, पृथ्वी, आकाश, अग्नि और वायु से मिलकर बना हुआ है, इस अवसर पर जनजातीय चिकित्सकों द्वारा समूह का गठन किया गया जिसका नाम महर्षि अश्विन कुमार जड़ी बूटी वैध संघ रखा गया और संघ का अध्यक्ष वैध मुकुल मुंडा जी को मनोनीत किया गया, संघ के सभी सम्मानित सदस्यों द्वारा संकल्प लेकर अशोक का पौधा लगाया गया। बैठक में मुख्य रूप से वैध कमलनाथ मुंडा, कुर्बान अंसारी, अनिल मुंडा, सुमित मुंडा, जीतेश मुंडा, चंद्रकांत मुंडा, सावित्री देवी, रूमा देवी, बबिता देवी उपस्थित रहे।
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