जमशेदपुर : सरायकेला-खरसावां:एक कंपनी जो दिवालिया हो गई जिसे बैंक ने रिकवरी कर कब्जे में ले लिया है उसमें लगातार 5 सालों से चोरी हो और फिर भी उसका ऑक्सन न हो ये तो किसी बड़े घपले-घोटाले की ओर संकेत करता है.हम बात कर रहे हैं लातेहार और सरायकेला-खरसंवा की ऐसी ही दो बंद पड़ी कंपनियों की जहां कि स्क्रैप माफिया,चोर और पुलिस की संलिप्तता से पूरी कंपनी अंदर ही अंदर बेच डाली गई है.आए दिन चोर और स्क्रैप माफियाओं द्वारा देर रात वहां तैनात सिक्योरिटी गार्ड से सेटिंग कर बड़े पैमाने पर स्क्रैप बड़ी-बडी़ कंपनियों में लाकर गला दिया जा रहा है.
सरायकेला-खरसावां से एक मामला चर्चा में आया है जहां गत् रविवार को डीएसपी हेडक्वार्टर सरायकेला ने गुप्त सूचना पर आदित्यपुर में स्क्रैप लदे 10 चक्का ट्रक 4709 को पकड़ा और जांच हेतु थाना को सौंपा.आदित्यपुर थानेदार ने चोरी के इस मामले पर मामला दर्ज करने के बजाए जांच के नाम पर दो दिन तक ट्रक को खड़ा रखा.कारण कि यह अवैध स्क्रैप उसी थाना क्षेत्र से लोड हुआ जहां यह पकड़ लिया गया.बंद पड़ी अभिजीत कंपनी से छोटे- छोटे पिक अप वैन से देर रात स्क्रैप चोरी कर अहले सुबह अंधेरे में जमशेदपुर और सरायकेला-खरसंवा के विभिन्न गोदाम में चोरों और स्क्रैप दलालों द्वारा माल बेचना पुरानी बात है.यह सालों से जारी है और परिणाम है कि जिस बंद कंपनी के बाहर सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी है वह अंदर से खाली होती गई.
बस कुछ इसी तरह सरायकेला,जमशेदपुर और आदित्यपुर के स्क्रैप गोदाम मालिक भी चोरी का माल खरीद-बिक्री करते-करते करोड़पति बन गए हैं.ऐसा नहीं कि ये लोग कभी जेल नहीं गये और इनका माल नहीं पकड़ा गया.जब-जब मीडिया ने प्रखर होकर समाचार लिखे और उच्च अधिकारियों तक बात पहुंची तब तक कोई न कोई जेल जरूर गया है.
आदित्यपुर में बरामद स्क्रैप किसी नवनीत इंटरप्राइजेज के जीएसटी बिल के साथ पकड़ा गया है और व्यापारी खुद को निर्दोष बता रहा है.सवाल तो ये है कि क्या जीएसटी बिल चोरी नहीं होने का प्रमाण है?फिर पुलिस इस मामले में केवल जीएसटी को आधार बनाकर क्या जप्त ट्रक को छोड़कर चोर को साधु का प्रमाण पत्र देना चाहती है? सूत्र बताते हैं कि यह अवैध स्क्रैप उस गोदाम का था जिसे एक साल पहले ही कोल्हान डीआईजी के निर्देश पर छापेमारी कर बंद करवाया गया था.कुछ महिने बाद यह गोदाम स्क्रैप माफियाओं द्वारा फिर से चालू कर दिया गया.उस समय भी एक थानेदार की भूमिका संदिग्ध थी और आज भी इससे इंकार नहीं किया जा सकता.
अगर आप जिले के विभिन्न थानों में दर्ज मामलों और बंद पड़ी अभिजीत कंपनी के चोरी के बाद जप्त हो चुके अवैध स्क्रैप को थाना जाकर देखें तो पता चलता है कि ये कंपनी के जंग लगे लोहे के एंगल और चैनल हैं जिसे गैस कटर से काट लिया गया है.लगभग 5 सालों से यही हाल है देर रात तीन-तीन थानों की पुलिस गश्त करती है फिर भी चोर लाखों का माल हर साल हर महिने और हर हफ्ते कैसे टपा रहे हैं?जाहिर सी बात है इसमें कंपनी के सिक्योरिटी गार्ड से लेकर स्थानीय थाना और माल लेकर जा रहे निकटवर्ती थाना क्षेत्र की मिलीभगत है.
सूत्रों की मानें तो दर्जनों बीघा में फैली अभिजीत कंपनी को रक्षकों और भक्षकों ने मिलकर 5-6 सालों में खाली कर दिया है.अगर इस मामले की सीआईडी जांच हुई तो न जाने कितने अधिकारी,चोर,दलाल और स्क्रैप माफियाओं की खटिया खड़ी हो जाएगी.हैरानी की बात है कि मुख्यमंत्री के गृह जिले में भी ऐसा कैसे संभव है?