चाकुलिया के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में जंगली हाथियों का कहर रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है. हालाँकि इस मुद्दे पर जमकर राजनीति हो रही है. एक तरफ भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी ने विगत दिनों इस मुद्दे को लेकर स्थानीय वन विभाग के कार्यालय पर हल्ला बोला तो वहीँ वर्तमान विधायक समीर महंती ने वन विभाग के वरीय पदाधिकारियों के साथ ग्रामीणों की बैठक करवा दी.मगर इसका कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है. इस पूरे प्रकरण में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की हाथियों को जंगल से ग्रामीण क्षेत्रों में पहुँचने से रोकना. मगर वन विभाग इसमें भी पूरी तरह से नाकाम साबित होता दिख रहा है. यदि हाथियों का रूट डायवर्ट कर दिया जाये तो इस समस्या से काफी हद तक निपटा जा सकता है मगर वन विभाग के पास इस समस्या से निपटने का कोई ठोस प्लान है ऐसा दिख नहीं रहा है. यही कारण है की हाथियों का झुण्ड हर दिन क्षेत्र के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बड़ी आराम से घुस कर उत्पात मचा रहा है. और इसे रोकने की ठोस स्तर पर कोई रणनीति दिखाई नहीं दे रही है. ताजा घटना में चाकुलिया प्रखंड की लोधाशोली पंचायत के चौठिया गांव के बांधडीह टोला में हाथियों ने विगत रात्रि जमकर उत्पात मचाया. हाथियों ने ग्रामीण कान्दाराम मुर्मू के घर को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया. इस घटना का सबसे भयावह पहलु ये है की जब हाथी ने घर पर हमला किया, तब परिवार के सभी सदस्य घर में ही सो रहे थे. परंतु संयोग से इस हमले में परिवार के सभी सदस्य बाल-बाल बच गए. सभी लोगों ने किसी तरह भागकर अपनी जान बचाई. घटना के सम्बन्ध में ग्रामीणों ने बताया कि रात के समय में तीन जंगली हाथी गांव में घुस आए थे. आलम ये है की हाथियों के आतंक से गाँव में रहने वाले लोग रात भर जाग कर पहरा दे रहे हैं. घटना की सूचना पाकर प्रभारी वनपाल कल्याण चंद्र महतो गांव पहुंचे. उन्होंने प्रभावित को क्षतिपूर्ति राशि के लिए फॉर्म उपलब्ध कराया. मगर एक सवाल भी साथ छोड़ गए की क्या केवल घटना के बाद मुआवजा देने तक ही वन विभाग की भूमिका सीमित है या इसपर कोई ठोस पहल भी होगी ?
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