चाकुलिया नगर पंचायत क्षेत्र स्थित डाक बंगला परिसर में आगामी 28 मई को आयोजित होने वाली टोटेमिक कुरमी, कुर्मी समाज के घाघर घेरा सह विशाल जनसभा को लेकर शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया. इस दौरान प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से टोटेमिक कुरमी, कुर्मी महतो समाज के सदस्यों ने कहा कि विभिन्न दृष्टिकोण से इसकी दस्तावेज को 13 जातियों में से बिना कारण 12 जातियों को एसटी में शामिल किया लेकिन एक को हटा दिया गया तब से संवैधानिक आंदोलन प्राप्ति के लिए कुर्मी समाज आंदोलित रहा है. तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से वार्तालाप में पता चला था कि एक गलती से छूट गया है. लेकिन तब से यह ठंडा वस्था में पड़ा हुआ है. बीते कई साल पूर्व पुरुलिया में जमशेदपुर में झाड़ग्राम में विभिन्न शिक्षाविदों द्वारा माझी महतो भाई भाई कहा जाता था. कुर्मी समाज को संस्कार संस्कृति का परिचय देने का जरूरत नही है. एक कुर्मी समाज ही है जो करम, बांधना, मकर आदि देवताओं का पूजा करते आ रहे है. यह पहचान स्वतंत्रता के युग से ही चलते आ रहा है. देश को स्वतंत्रता आंदोलन हो या झारखंड आंदोलन हर लड़ाई में कुर्मी यों ने बलिदान दिया है. परंतु दुर्भाग्य है कि इतिहासकारों ने हमारे इतिहास को नकार दिया है. आज हमें स्वयं अपनी इतिहास लिखने की जरूरत है. कुर्मी को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के मुद्दे पर केंद्र की भाजपा सरकार कोई जवाब नहीं दे रही है जबकि 2022 में भारत सरकार जनजातीय मंत्रालय ने कई जनजातियों को एसटी का दर्जा दिया है. उल्लेखनीय है की कोई दास्तावेजो, कागजादों में कुर्मी को जनजाति माना गया है. लेकिन कुर्मियो द्वारा जनसभा करने के बाद भी जब सकारात्मक परिणाम नही मिला तो रेल टेका डहर छेंका के अंतर्गत रोड को जाम किया गया. जिसके बाद घाघर घेरा के नाम से जनसभा शुरू किया गया. इसी दृष्टिकोण से आंदोलन अब इस प्रकार बढ़ गया है की ये पीला कमछा झारखंड के साथ साथ दिल्ली तक पहुंचने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में अगर खून भी बहाना पड़े तो हम सभी पीछे नही हटेंगे. वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए हमारी मांग को लेकर पड़ोसी राज्य का लड़ाई चरण पर है. रांची से दिल्ली तक के लिए जो भी लड़ाई होगी उसमे हम सभी तैयार है अब ये करो या मरो की लड़ाई है. उन्होंने कहा कि जब तक इसपर कोई ठोस परिणाम नहीं मिलता है तब तक वे अपना हक एवं अधिकार को लेकर आंदोलन करते रहेंगे. उनकी मांगे यह है कि झारखंड, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा में निवास करने वाले टोटेमिक कुर्मी जनजाति को संविधान की धारा 342 के तहत अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किया जाय. कुरमाली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाय. सारना धर्म कोड को अविलंब लागू किया जाय. इस मौके पर मुख्य संरक्षक हरिशंकर महतो, सह संरक्षक स्वपन महतो, वक्ता नरेंद्र नाथ महतो, शतदल महतो, बलराम महतो, गिरीश चंद्र महतो, निर्मल महतो, रूद्र प्रताप महतो, सुधीर महतो, भूषण महतो, पंकज महतो, निमाई महतो, पूर्णेन्दु महतो, घुटू महतो, मनोरंजन महतो, राहुल महतो, सुबल महतो आदि उपस्थित थे.
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