जादूगोड़ा : परमाणु उर्जा केन्द्रीय विद्यालय जादूगोड़ा में टी एन पी कार्यक्रम के तहत दाखिला पाकर 10वीं कक्षा पास कर चुके विद्यार्थियों का दाखिला 11वीं कक्षा में करने से विद्यालय प्रबंधन द्वारा इनकार कर देने के बाद बच्चों के अभिभावको का गुस्सा उबल पड़ा और इसके बाद करीब 400 बच्चों के अभिभावक मुसाबनी अंश 18 के पूर्व जिला परिषद बाघराय मार्डी के नेतृत्व में यूसिल गेट पहुँच गए और स्कूल प्रबंधन और यूसिल कम्पनी के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए यूसिल अस्पताल चौक पर धरने पर बैठ गए . इससे पहले झामुमो के पूर्वी सिंहभूम जिला उपाध्यक्ष बाघराय मार्डी ने यूसिल प्रबंधन को 72 घंटो के अन्दर अपने निर्णय पर पुनर्विचार कर बच्चों का दाखिला शुरू करने के लिए एक पत्र सौंपा था . जिसमे मांगें नहीं मानने की स्थिति में धरना – प्रदर्शन की बात कही गयी थी . मगर यूसिल प्रबंधन ने इसपर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी जिसके बाद भारी संख्या में अभिभावको का समूह यूसिल अस्पताल चौक पहुंचा और वहीँ पर धरना -प्रदर्शन शुरू कर दिया.
आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे बाघराय मार्डी का कहना है की पूर्व में यूसिल के महाप्रबंधक ने कहा था की आर टी ई के तहत विद्यालय में दाखिला पाए बच्चों की शिक्षा में कोई बाधा नहीं आएगी और वो 12 वी कक्षा तक पढ़ते रहेंगे. लेकिन टी एन पी कार्यक्रम के तहत विद्यालय में दाखिला पाए बच्चों को शिक्षा से वंचित करने का दोहरा मापदंड अब किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जायगा . यूसिल के खनन क्षेत्र में निवास करने वाले सभी लोगों के बच्चों को परमाणु उर्जा केन्द्रीय विद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने का पूरा अधिकार है और उन्हें इस अधिकार से वंचित किया जा रहा है जो किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जायगा. जबतक अभिभावकों की मांगें पूरी कर उनके बच्चों को विद्यालय में दाखिला नहीं मिल जाता है तबतक यह धरना जारी रहेगा.
इस धरना प्रदर्शन में भारी बारिश के बीच भी सभी अभिभावक डटे हुए हैं . इधर विद्यालय प्रबंधन अपनी रुख पहले ही स्पष्ट कर चुकी है . विद्यालय प्रबंधन का कहना है की दाखिले सम्बन्धी नियम परमाणु उर्जा शिक्षा संस्थान मुंबई बनाती है और उसी के अनुरूप नियम का पालन करते हुए उसे कार्यान्वित करना होता है. अब चूँकि यह विद्यालय यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड जादूगोड़ा की शेक्षणिक इकाई है और इसके प्रबंधन समिति में भी यूसिल कम्पनी के ही अधिकारी शामिल होते हैं. ऐसे में स्थानीय स्तर पर कम्पनी का निर्णय ही अंतिम होता है. यही कारण है की बच्चों के अभिभावक यूसिल प्रबंधन को इस मुद्दे पर घेर रहे हैं .