डुमरिया प्रखण्ड में आदिवासी पारंपरिक जड़ी बूटी चिकित्सा संघ के द्वारा सामुदायिक भवन में एक बैठक का आयोजन (वैद्य) मान सिंह हासदा की अध्यक्षता में किया गया। बैठक के दौरान सभी वैद्य के द्वारा अपने अनुभव को साझा किया गया। वनौषधि चिकित्सा पद्धति के संरक्षण एवं हर्बल गार्डन, किचन गार्डन के निर्माण हेतु अन्य संबंधित व्यक्तियों को भी जागरूक करने का निर्णय लिया गया। और यह भी निर्णय लिया गया कि हम कोई भी जड़ी बूटी जंगल से लायेगे तो उसके बदले में पौधरोपण जरूर करेगे। इसके बाद ज्वाल किशकू व जूझार सोरेन ने कहा की हर्बल गार्डन की रूप रेखा हमे पिरामल स्वास्थ्य के द्वारा मिल रहा है सबसे पहले हम अपने घर पर हर्बल गार्डन का निर्माण करेगे।
सर्वसम्मति से अपने ज्ञान का आदान प्रदान किया गया साथ ही आपस में जंगली जड़ी बूटियों का भी लेन देन किए इसके बाद यह भी निर्णय लिया गया की हमारे पास मरीजों का कोई पंजीकरण रजिस्टर उपलब्ध नहीं है लेकिन अब हम लोग मरीज पंजीकरण रजिस्टर बनायेगे जिससे हमारे पास एक अभिलेख भी तैयार होगा।
इस दिशा में पिरामल स्वास्थ्य काफी प्रयास कर रहा है राज्य के आदिवासी वैद्य को एक मंच पर ला रहा है साथ ही साथ जड़ी बूटी से ठीक हुए मरीजों और कौन सी जड़ी बूटी कितनी कारगर रही, इसका विवरण तैयार करवा रहा है पिरामल स्वास्थ्य से जुड़े लोगों का कहना है की यदि पुरानी पीढ़ी के ज्ञान का उपयोग नहीं किया गया तो जनजातीय चिकित्सा पद्धति धीरे धीरे लुप्त हो जाएगी। बैठक में आमंत्रित सदस्य के रूप में नन्द लाल जिला कार्यक्रम समन्वयक पिरामल स्वास्थ्य, ज्वाल किस्कु, जुझार सोरेन, राम चन्दर सोरेन विक्रम मार्डी आदि उपस्थित रहे।