जमशेदपुर : बिहार की राजनीति हमेशा से गठबंधनों, समीकरणों और अप्रत्याशित परिणामों का खेल रही है. लेकिन इस बार 2025 का विधानसभा चुनाव कई मायनो में दिलचस्प होता दिखाई दे रहा है l एक तरफ जहाँ चुनावी विश्लेषक , एग्जिट पोल और राजनैतिक पंडित अपना -अपना अनुमान लोगों के समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं वहीँ ज्योतिषीय पंडित भी इन सबसे पीछे नहीं है l ये ज्योतिषीय पंडित ग्रहों की चाल और गोचर की गणना के अनुसार बिहार में सत्ता की एक नयी तस्वीर प्रस्तुत कर रहे हैं l

अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी ज्योतिष विद्या का लोहा मनवा चुके जमशेदपुर के प्रख्यात ज्योतिषी पंडित आनंद शर्मा के अनुसार इस बार के चुनाव में उच्चस्थ गुरु कर्क राशि में, शनि मीन में वक्री, और राहु-केतु की कुम्भ-सिंह धुरी सत्ता-संतुलन और गठबंधन राजनीति का नया अध्याय लिख रही है l जेमिनी ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब गुरु और शनि केन्द्र से दृष्टि डालें तो राज्य परिवर्तन या सत्ता पुनर्गठन निश्चित होता है l यानी की इसका सीधा सा अर्थ है कि 2025 के चुनाव में बिहार में किसी एक दल की लहर के सहारे चुनावी नैया पार नहीं लगने वाली बल्कि साझा गठबंधन से निकलने वाले नंबर का गणित ये तय करेगा कि इस बार बिहार की सत्ता पर कौन काबिज हो सकता है l
ज्योतिषाचार्य आनंद शर्मा ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर जो गणना की है उसके अनुसार इस बार चुनाव परिणाम इस प्रकार होने वाले हैं l
राहु कुंभ तो केतु सिंह राशि में गठबंधन और नेतृत्व की रस्साकशी!
राहु कुंभ और केतु सिंह की धुरी गठबंधन और नेतृत्व के बीच खिंचाव लाती है. कुंभ जनसमूह, नेटवर्क और तकनीकी कौशल का प्रतीक है, जबकि सिंह नेतृत्व, प्रतिष्ठा और केंद्रीकृत शक्ति का. यही वजह है कि इस चुनाव में नेटवर्क-आधारित रणनीति और संवाद-कौशल निर्णायक भूमिका निभाएँगे.
गुरु का कर्क में उच्चस्थ होना
11 नवंबर 2025 को गुरु 0°55′ कर्क राशि में पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण में है. यह स्थिति समर्थन विस्तार और जनमत समेकन (Public Opinion Consolidation) का सूचक है. बृहत्संहिता के अनुसार जब गुरु उच्चस्थ होकर चंद्र राशि से केन्द्र में आता है, तब शासक दलों के लिए सहयोग बढ़ता है, लेकिन निर्णायक बहुमत दुर्लभ होता है. यानी सत्ता मिल सकती है, पर अकेले नहीं गठबंधन के सहारे.
शनि मीन राशि में, नीति और अनुशासन से सफलता
शनि मीन राशि में प्रथम अंश पर वक्री गति में है. यह संयोजन राजनीति में आत्ममंथन और समीक्षा का समय दर्शाता है. इसका असर उन दलों पर अधिक पड़ता है जिनकी राजनीति अनुशासन और संगठन पर टिकी है. शनि का यह प्रभाव संकेत देता है कि उम्मीदवार चयन, टिकट वितरण और सहयोगियों के साथ तालमेल ही सफलता की कुंजी बनेगा.
अगर राजनैतिक दलों की बात करें तो दलवार ग्रह–प्रभाव इस प्रकार हैं –
- भाजपा (6 अप्रैल 1980) मेष लग्न की इस कुंडली पर वर्तमान गुरु उच्च होकर लग्नेश को बल दे रहा है. राहु कुंभ में 11वें भाव के समान प्रभाव से जनता से जुड़ाव बढ़ेगा. शनि मीन में रहकर संगठन की आंतरिक संरचना को कसता है l इसका मतलब है कि भाजपा को सत्ता तक पहुंचने की सबसे अधिक संभावनाएं हैं, लेकिन पूर्ण बहुमत कठिन दिखता है l
- जनता दल (यू) – 30 अक्टूबर 2003: तुला लग्न की कुंडली पर शनि मीन से पंचम दृष्टि डालता है, जिससे निर्णय क्षमता और रणनीतिक कुशलता बढ़ाती है. गुरु का उच्च स्थान इस दल को मध्यस्थ या किंगमेकर की भूमिका में ला सकता है l नीतीश कुमार की व्यक्तिगत कुंडली में भी यह योग सत्ता-संतुलन बनाए रखने की संभावना दिखाता है l
- राष्ट्रीय जनता दल ( 5 जुलाई 1997): वृष लग्न और वृश्चिक चंद्र वाली कुंडली में राहु का दशम भाव से प्रभाव प्रचार को मजबूत करता है, लेकिन केतु का चौथे भाव से प्रभाव स्थानीय गुटबाजी और अंदरूनी असंतोष का संकेत देता है. गुरु का उच्चस्थ होना जनाधार बनाए रखेगा, मगर सीटों की संख्या घट सकती है l
इन सभी ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार बिहार में एकतरफा बहुमत की संभावना बहुत कम दिखाई दे रही है l
बृहत पराशर होरा शास्त्र में कहा गया है गुरुश्च शनि योगे राज्यं परावर्तते l अर्थात जब गुरु और शनि एक साथ केन्द्र या त्रिकोण से दृष्टि डालें, तो राज्य की दिशा बदल जाती है. वही स्थिति इस समय सक्रिय है इसलिए बिहार में एकतरफा बहुमत की जगह साझा सत्ता या पुनर्गठित गठबंधन का योग बन रहा है.
2025 का चुनाव पूरी तरह संवेदनशील गठबंधन राजनीति की दिशा में जा रहा है. ग्रह स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि जनता का रुझान किसी एक दल की ओर नहीं, बल्कि साझा नेतृत्व की ओर झुकेगा. भाजपा-नीत गठबंधन सत्ता के प्रमुख दावेदार के रूप में उभर सकता है.
राष्ट्रीय जनता दल को बड़ी टक्कर के बावजूद संगठनात्मक चुनौती झेलनी पड़ सकती है. जदयू फिर से सत्ता-समीकरण की कुंजी साबित हो सकता है l ऐसा होता है तो एक बार फिर नितीश कुमार के सीएम बनने का रास्ता साफ़ हो सकता है l गुरु के उच्च होने से यह चुनाव परिवार, भावनाओं और कल्याणकारी वादों के मुद्दों पर घूमेगा, जबकि शनि का अनुशासन हर पार्टी की परीक्षा लेगा








