चाकुलिया : पश्चिम बंगाल के जामबनी की डुमुरिया यूनिवर्सल दुर्गोत्सव समिति थीम पूजा में उपनगरीय पूजा को पहले भी मात दे चुकी है. लेकिन इस बार उनकी थीम ‘खोई हुई दुनिया’ है. उद्यमियों को उम्मीद है कि यह इनोवेटिव थीम आइडिया आगंतुकों का ध्यान खींचेगा. पूजा समिति ने अपने अभिनव विषय के लिए 2021 में ‘विश्वबांग्ला’ पुरस्कार जीता. अब यहां पूजा 66 वर्ष में प्रवेश कर गयी है. पूजा समिति के सदस्यों की संख्या 120 है. इस बार पूजा का बजट पांच से छह लाख रुपये है. डायनासोर समेत धरती से लुप्त हो चुके सभी जानवर और अन्य चीजें इस साल की थीम है. मालूम हो कि करीब 66 साल पहले बांकुड़ा के एक विद्वान ने यहां दुर्गा पूजा की शुरुआत की थी. पंडित का बेटा यहां का पुजारी है. यहां बांकुड़ा के ब्राह्मणों द्वारा लिए गए शुद्ध निर्णय के अनुसार पूजा की जाती है. इस पूजा में न केवल जामबनी क्षेत्र के निवासी, बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड के चाकुलिया क्षेत्र के विभिन्न गांवों के निवासी भी शामिल होते है. यहां के निवासियों को हर साल पांच-छह आम लोगो के द्वारा प्रसाद के रूप में खिचड़ी खिलाए जाते हैं. साथ ही पूजा समिति के सदस्य साल भर विभिन्न सार्वजनिक सेवाओं में शामिल होते हैं. साथ ही जगह-जगह रक्तदान शिविर आयोजित किये जाते हैं. जब उपचाराधीन किसी व्यक्ति को तत्काल रक्त की आवश्यकता होती है तो सदस्य तुरंत इसकी व्यवस्था करते हैं. इस पूजा समिति को सरकारी अनुदान मिलता है. पूजा में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होगा. कोलकाता के शिल्पी नाट्य ग्रुप और स्थानीय कलाकारों के कार्यक्रम होते हैं.
इस संबध में पूजा समिति के सचिव सन्नी मैती ने कहा की पहले हमारी पूजा आम मंडप में होती थी. चार साल पहले हमारे क्षेत्र में रेलवे ट्रैक से टकराकर तीन हाथियों की मौत हो गई थी. इसको लेकर अधिक से अधिक हमने उस विषय को कवर किया और क्षेत्र में जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई. तब से हम हर विषय पर जोर देते हैं. 2021 में जिले की छह पूजा समितियों को विश्व बांग्ला पुरस्कार मिला. उसमें हमें यह पुरस्कार थीम के प्रति श्रद्धांजलि के रूप में मिला है. झारखंड के चाकुलिया इलाके से कई लोग हमारी पूजा में आते हैं. वास्तव में यह पूजा दो राज्यों का मिलन स्थल है.