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दुमका : शिक्षक दिवस के मौके पर शास्त्री स्मारक मध्य विद्यालय में शिक्षाविद हरेंद्र प्रसाद यादव को किया सम्मानित

दुमका:-शिक्षक दिवस के अवसर पर शास्त्री स्मारक मध्य विद्यालय दुमका में सम्मान समारोह का आयोजन मंगलवार को किया गया। जिसमें इस विद्यालय के पूर्व प्रधानाध्यापक सह विशिष्ट शिक्षाविद हरेंद्र प्रसाद यादव को साल ओढ़ाकर मुख्य अतिथि अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी कुमार हर्ष ने सम्मानित किया। मौके पर उपस्थित अन्य पदाधिकारियों ने उन्हें पौधा और यादगार फ़ोटो, प्रतीक के रुप में देकर उनके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की शुभकामनाएं दिया।

विद्यालय के प्रधानाध्यापिका  गायत्री राय द्वारा श्री यादव के 12 वर्षों के सफल कार्यकाल के दौरान विद्यालय को प्राप्त उपलब्धियों तथा विद्यालय के वर्तमान भवन के निर्माण में इनकी योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनके कार्य कौशल से इस विद्यालय को जिला में सर्वोच्च स्थान प्राप्त हुआ तथा अनेकों उपलब्धियाँ दिलाते हुए कार्यकाल में निष्कलंक और निर्विवादित रह कर कार्य करते हुए दिनांक 31 जुलाई 2008 ई० को सेवा निवृत हुए। यह इस विद्यालय के लिए स्वर्णिम काल था।इन्होंने जब इस विद्यालय में योगदान किये थे उस समय विद्यालय में लगभग ढाई सौ विद्यार्थी नामांकित थे। इनके अथक प्रयास से विद्यालय में नामांकित बच्चों की संख्या आठ सौ तक पहुँचा दिये थे।

इसके पूर्व विद्यालय में मात्र 2 कमरा बना हुआ था। इनके द्वारा अपने व्यक्तिगत प्रभाव से तत्कालीन डीडीसी मीणा साहब से पहले 3 वर्ग कक्ष बनवाने का आवंटन स्वीकृत करा कर भवन बनवाये।

इन्होंने पुनः राज्य सभा सांसद के फण्ड से 2 कमरा और चाहरदिवारी का आवंटन प्राप्त कर निर्माण करवाया गया। प्र० अ० के पद पर योगदान के दूसरे वर्ष से लेकर सेवा निवृति तक प्रत्येक बर्ष दो-तीन बच्चों का चयन नवोदय विद्यालय प्रवेश परीक्षा में होता रहा हैं।  तथा एक बर्ष ऐसा हुआ कि इस विद्यालय से आठ बच्चों का चयन नवोदय विद्यालय में हो गया।

उस समय शिक्षा, परियोजना द्वारा प्रत्येक वर्ष जिले के सभी विद्यालय का आकलन कर सर्वश्रेष्ट विद्यालय को पुरस्कृत किया जाता था। इनके कार्यकाल में दो दो वर्ष इस विद्यालय को  जिला में प्रथम स्थान प्राप्त होने का गौरव हासिल हुआ था। जिसमें क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक सं० प्र० प्रमण्डल द्वारा पुरस्कार प्राप्त हुआ था। इनके कार्य कॉल में इस विद्यालय की गिनती जिला के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों, में की जाती थी। इस विद्यालय में दूर दूर से बच्चे पढने आने लगे हैं।

सेवानिवृत्ति के 15 साल बाद भी इनके द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का अलग जगाने हेतु ड्रॉप आउट बच्चों को प्रोत्साहित कर स्कूल से जोड़ने का काम कर रहे हैं। समाज के दोराहे पर खड़े युवाओं को भी सही राह दिखाने का काम कर रहे हैं।

जीवन के इस पड़ाव में भी अपने को???? व्यस्त और स्वस्थ रखने के लिए कई एकड़ बंजर भूमि में आम सहित कई फलदार वृक्षों और साल के वृक्षों का बगीचा लगाकर प्रकृति को हरा भरा और पर्यावरण को स्वच्छ रखने का संदेश देकर युवा पीढ़ी को जागरूक करने का काम कर रहे हैं।

यह हम सभी शिक्षकों के लिए प्रेरणादायक हैं। इसलिए कहा जाता है कि शिक्षक कभी सेवा निवृत्त नहीं होते हैं। वह सही मायने में राष्ट्र निर्माता कहलाते हैं।

शिक्षाविद हरेन्द्र प्रसाद यादव ने अपने कार्यकाल के अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि शुरुआती दौर में काफी कठिनाइयों से जूझते हुए बच्चों के लिए अच्छा स्कूल निर्माण का पहल किये थे। आज भी यह विद्यालय काफी तरक्की कर रहा है, यहां की प्रधानाध्यापिका ५ संवेदनशील रहकर बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दे रहे हैं। यह काफी सराहनीय है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में अनुमंडल शिक्षा पदाधिकारी श्री कुमार हर्ष, सहायक परियोजना पदाधिकारी सुमंत कुमार, मनोज अम्बष्ट, विद्यालय की शिक्षिकाएं नीलू कुमारी, पुष्पम कुमारी, बेदवती यादव, प्रियंका कुमारी, सुजाता कुमारी, रंजू कुमारी, किरण कुमारी सहित स्कूल की छात्र छात्राएं उपस्थित

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