चाकुलिया : चाकुलिया प्रखंड के भातकुंडा पंचायत स्थित भालुकबिंदा के सुनसुनिया साल जंगल में रविवार को वन प्रबंधन एवं महा सुरक्षा समिति और जोहर भारत फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में पद्मश्री जमुना टुडू के नेतृत्व में रक्षाबंधन कार्यक्रम आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में डीडीसी मनीष कुमार और विशिष्ट अतिथि के रूप में डीपीआरओ रोहित कुमार और बीडीओ देवलाल उरांव शामिल हुए. इस दौरान सभी अतिथियों को पद्मश्री जमुना टुडू समेत अन्य ने अंग वस्त्र ओढ़ाकर और साल पत्ता से बनी टोपी पहनाकर सम्मानित किया. डीडीसी समेत अन्य ने मांदर और धमसा की थाप पर आदिवासी नृत्य कर लोगों को उत्साहित किया. इसके उपरांत अतिथियों और वन सुरक्षा समिति के सदस्यों ने साल पेड़ पर रक्षा सूत्र बांधकर जंगल और पेड़ों की सुरक्षा करने का संकल्प लिया.
इस अवसर पर वन सुरक्षा के कार्य में बेहतर कार्य करने के लिए सेवा निवृत्त शिक्षक रामस्वरूप यादव, वन सुरक्षा समिति की अध्यक्ष मादो टुडू, सेफाली सबर, सोमबारी मुर्मू समेत अन्य को अतिथियों ने सम्मानित किया.
आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए डीडीसी मनीष कुमार ने कहा कि जीवन जी और वन से बनता है. जीवन शब्द में ही वन का महत्व समाहित है. वन बचेंगे तो ही जीवन बचेगा. रक्षाबंधन कार्यक्रम के तहत पेड़ों की सुरक्षा करने का संकल्प लेना सराहनीय कार्य है. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी ने पर्यावरण के महत्व को समझाया है. वन सुरक्षा समिति की इस कार्यक्रम से आने वाली पीढ़ी भी सीख लेगी और वन की सुरक्षा के प्रति जागरूक होंगे. उन्होंने कहा कि आप सभी अपनी खुशियों में पांच पौधों का रोपन करें और उन पौधों को अपने बच्चों की तरह लालन पालन कर सुरक्षा करें तभी सही मायने में पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा. सरकार भी पर्यावरण के प्रति सचेत है और बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत 4 लाख पौधा लगाने का काम किया गया है. ताकी हमारा क्षेत्र और देश हराभरा रहे और हम सब सुरक्षित रहें. जंगल से हमें लकड़ी ही नहीं बल्कि कई वनोत्पाद मिलते हैं. वनोत्पाद को बढ़ावा देने के लिए सरकारी स्तर पर बेहतर बाजार उपलवब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है.
पद्मश्री जमुना टुडू ने कहा कि जिस तरह भाई और बहन रक्षा सूत्र बांधकर हर तकलीफ और विपदा से एक दूसरे को सुरक्षा देने का संकल्प लेते हैं. उसी तर्ज पर हर वर्ष वन सुरक्षा समिति के सदस्य पेड़ों में रक्षा सूत्र बांधकर पेड़ों की सुरक्षा करने का संकल्प लेते हैं. वे 1998 से वन सुरक्षा समिति का गठन कर वन की सुरक्षा करने का काम कर रही है. हमारे जीवन में पेड़ पौधों का महत्व अहम है. वन बचेगा तो ही जीवन बचेगा. वन सुरक्षा कार्य से ही उनकी पहचान बनी और ग्रामीण क्षेत्र की एक आदिवासी महिला को वन सुरक्षा कार्य के लिए दिल्ली बुलाकर पद्मश्री पुरस्कार देकर सम्मानित किया.
डीपीआरओ रोहित कुमार, बीडीओ देवलाल उरांव ने भी अपने विचार रखें और जंगल के महत्व पर प्रकाश डाला.
इस मौके पर परमेश्वर लाल रूंगटा, अमित भारतीय, अभिनाश सुरेखा, शंभूनाथ मल्लिक, साधन मल्लिक, मानसिंह टुडू, बनमाली दास, अपू दास, रानी हांसदा, सुमित्रा महतो, मालती टुडू, अंजू महतो आदि उपस्थित थे.