जमशेदपुर : स्क्रैप माफिया नवनीत तिवारी को आदित्यपुर की पूर्व थानेदार सुषमा कुमारी ने 29 जून 2020 को 10 बाईक और चोरी के स्क्रैप के लिए जेल भेजा था.जिसे चोरी का माल लेने के लिए कोल्हान के साथ-साथ आरपीएफ भी चर्चित चोर के नाम से जानती है उसे एक फर्जी जीएसटी बिल के कारण चार दिनों की मोहलत आखिर क्यों?
आदित्यपुर थाना प्रभारी नीतीन सिंह ने क्या डीएसपी मुख्यालय प्रदीप उरांव के आदेश की भी धज्जियां जांच के नाम पर उड़ाई या फिर वे अपने थाना क्षेत्र में स्क्रैप माफियाओं को संरक्षण दे रहे थे इसलिए गुमराह होने का नाटक कर रहे हैं?
31 मार्च रविवार से लेकर आज तक ये सारे सवाल मीडिया में चर्चा का विषय बन चुके हैं.बने भी क्यों न जब बंद पड़ी अभिजीत कंपनी में 6 सालों से चोरी हो रही है और एक डीएसपी को मुख्यालय से रात के 10.00 बजे गुप्त सूचना पर आदित्यपुर आना पड़ गया फिर भी अब तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई.
सवाल तो उठता है कि किसी साधारण आदमी की गाड़ी पकड़ी जाए तो घंटे भर में कार्रवाई हो जाती है और जांच में दर्जनों सवाल पूछे नहीं कि एफआईआर दर्ज.माल कहां से आया कहां जा रहा है गाड़ी किसके नाम पर है कितना ओवरलोड या अंडरलोड है किस किस्म का माल लोड है.ये सारे सवाल के जवाब न्यूज पोर्टल वाले 24 घंटे में ही कर चुके थे लेकिन जीएसटी बिल का बहाना बनाकर उच्च अधिकारियों को भी गुमराह कर दिया गया.इसका महत्वपूर्ण कारण भी है जो कि सेटिंग-गेटिंग का खुलासा करता है.
जैसे ही डीएसपी ने गाड़ी को पकड़ा कि आदित्यपुर थानेदार को जांच का जिम्मा सौंपा गया.अब आदित्यपुर पुलिस ने जीएसटी बिल के नाम पर जांच शुरू कर दिया तब तक तिवारी ने अपने गोदाम में रखे चोरी के बड़ी खेप को रातों-रात गायब करवा दिया.इसके साथ ही पैरवी पर पैरवी करवाने लगा और इतना ही नहीं एक अखबार ने तो तिवारी का बयान भी छापा कि अब वह अवैध धंधों से तौबा कर चुका है.जिस गोदाम को 8 महिने पहले ही डीआईजी कोल्हान की स्पेशल टीम की छापामारी के बाद बंद करवाया गया था वह कैसे चालू हो गया? कुछ ऐसे भी मामले हैं जहां एक आम व्यक्ति जो पीड़ित हैं उसको फर्जी मामले में भी महिनों न्याय नहीं मिलता और एक ये मामला है जहां हिस्ट्रीशीटर को चार दिन तक बचने के लिए सारे हथकंडे अपनाए जाने का मौका मिला वाकई जबरदस्त पुलिसिंग है .