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जादूगोड़ा : यूसिल के महाप्रबंधक संजय कुमार शर्मा हुए सेवानिवृत दी गयी विदाई, राकेश कुमार ने किया पदभार ग्रहण

जादूगोड़ा : यूरेनियम कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड जादूगोड़ा के महाप्रबंधक संजय कुमार शर्मा कम्पनी में लगातार 27 वर्षों तक विभिन्न पदों पर सेवा देने के बाद आज सेवानिवृत हो गए . उन्होंने अपने कार्यालय में उप -महाप्रबंधक ( कार्मिक /प्रशासन /औ० सं० ) राकेश कुमार को विधिवत पदभार सौंपा. इस मौके पर सिंहभूम यूरेनियम मजदूर यूनियन के महासचिव रमेश मांझी, जादूगोड़ा लेबर यूनियन के महासचिव सुरजीत सिंह समेत यूसिल के आला अधिकारी मौजूद रहे. इसके बाद उन्हें कम्पनी के कार्पोरेट कार्यालय में एक समारोह आयोजित कर विदाई दी गयी . यूसिल के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक चंद्रू कुमार असनानी,पी के पहाड़ी, मनोज कुमार सीवीओ रोहित कुजूर ने संयुक्त रूप से उन्हें शाल ओढाकर सम्मानित किया.

 

इस मौके पर सीएमडी ने कहा की संजय कुमार शर्मा की कम्पनी से सेवानिवृति एक युग के समापन जैसा प्रतीत हो रहा है . इन्होने कम्पनी के कई महत्वपूर्ण कार्यों को बड़ी सूझ-बूझ से अंजाम दिया है. कई मामलों में ऐसा हुआ की काम होने की सम्भावना खत्म होती दिखाई दी मगर संजय कुमार शर्मा ने उसे भी अपने कार्यकुशलता से पूरा किया. कम्पनी के कई इसे मुद्दे थे जिनका समाधान इनके कार्यकाल में हुआ ये भी एक इतिहास रहेगा. उन्होंने आने वाले समय के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी.

राकेश कुमार ने कहा की शर्मा साहब के अधीन काम करते हुए काफी कुछ सीखने को मिला. इन्होने कम्पनी के हित में कभी भी कड़े फैसले लेने में किसी भी प्रकार का संकोच नहीं किया. जिसका परिणाम है की कई जटिल मामलों का निष्पादन किया जा सका. मजदूर हित में भी इनके द्वारा किये गए कार्य हमेशा याद रखे जाएंगे. उन्होंने आशा व्यक्त किया की संजय शर्मा के अनुभव का लाभ उन्हें आगे भी मिलता रहेगा.

ज्ञात हो की संजय कुमार शर्मा कम्पनी में काफी निर्विवाद अधिकारी के रूप में जाने जाते रहे हैं. अपनी सेवानिवृति के साथ – साथ इन्होने वर्षों से लंबित पड़े चाटीकोचा के विस्थापितों के पुनर्वास का मामला भी सुलझा दिया और उसका निष्पादन कर दिया.   संजय कुमार शर्मा ने 1995 में इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग डिग्री हासिल की थी. 2000 में अन्नामलाई विश्वविद्यालय से एमबीए और 2010 में इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स के मानक डिग्री सदस्य उच्च योग्यताएं प्राप्त की. वे आठ मई 1996 को यूसील में उप अधीक्षक इंस्ट्रूमेंटेशन के रूप में शामिल हुए. उन्होंने शुरुआत में यूसील के इंस्ट्रूमेंटेशन -अनुभाग का नेतृत्व किया.  तुरामडीह और तुमलापल्ली यूरेनियम अयस्क प्रसंस्करण परियोजना के कमीशनिंग के चरणों की अवधारणा से भी जुड़े. इनके नेतृत्व में यूसील के सभी यूरेनियम प्रसंस्करण क्षेत्र में पीएलसी आधारित केंद्रीकृत नियंत्रण और इंस्ट्रूमेंटेशन प्रणाली लागू की गई. उन्होंने बोर्ड की मंजूरी के बाद विभिन्न एचआर नीतियों के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनको जादूगोड़ा, तुरामडीह, तुमलापल्ली के सभी तीन यूरेनियम संयंत्र में नियंत्रण और इंस्ट्रूमेंटटेंशन के क्षेत्र में नवीनतम तकनीक लाने का श्रेय मिला. यूसील में कार्य करने से पहले वे 1987 से 1990 तक परमाणु ऊर्जा विभाग मैसूर के तहत दुर्लभ सामग्री संयंत्र आरएमपी में और जनवरी 1991 से अप्रैल 1996 तक एनईपीए लिमिटेड नेपानगर में कार्यरत थे.

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