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मकर संक्रांति के साथ 15 दिनों तक चलने वाले टुसू पर्व का शुभारंभ जादूगोड़ा डैम के तट पर लगा मेला,टुसू प्रतिमाएं की गयी पुरस्कृत हब्बा -डब्बा पर रहा प्रतिबन्ध

जादूगोड़ा : मकर संक्रांति के साथ ही झारखण्ड के आदिवासी समुदाय के बीच 15 दिनों तक चलने वाला टुसू पर्व का शुभारंभ हो गया . संक्रांति की सुबह गैर आदिवासी समुदाय के लोगों अपने पास वाले नदियों में जाकर स्नान कर यथाशक्ति दान पुण्य कर  दही – चुडा और तिलकुट का आनंद लिया. वहीँ आदिवासी समुदाय के लोगों ने गुड और चावल के मिश्रण से बने पीठा से अपना मूह मीठा कर इस महापर्व की शुरुआत की .

इस मौके पर जादूगोड़ा के युसिल डेम घाट पर गुर्रा नदी के तट पर हर साल की तरह इस साल भी बनडीह टुसू मेला कमिटी द्वारा टुसू मेला आयोजित किया गया. इस मेला का मुख्य आकर्षण मुर्गा पाड़ा रहा. यहाँ लोग अपने -अपने मुर्गे के साथ आकर उसे लड़ाते हैं और हारने वाले मुर्गा को इनाम में लेकर जाते हैं . इसके अलावा दूर -दूर  से लोग यहाँ अपनी -अपनी टुसू प्रतिमाओं के साथ आये और उसका प्रदर्शन किया . कमिटी की निर्णायक मण्डली द्वारा सभी प्रतिमाओं का निरिक्षण करने के बाद विजेता प्रतियोगियों को पुरस्कृत किया गया. जिसमे घाटशिला ( कड़ाडूबा ) की टुसू प्रतिमा को प्रथम पुरस्कार के रूप में 2701/-  रूपये नगद कमिटी को ओर से प्रदान किये गए.द्वितीय पुरस्कार भुरकाडीह की टुसू प्रतिमा को मिला उसे 2501/-रुपये नगद,तृतीय पुरस्कार स्वस्पुर की प्रतिमा को दिया गया जिसमे उसे 2001/- रुपये नगद एवं जादूगोड़ा की प्रतिमा ने 1501/- रुपये का नगद चतुर्थ पुरस्कार जीता .

कमिटी के सदस्यों ने बताया की इस बार छोटी – बड़ी मिलकर 12 टुसू प्रतिमाएं मेले में लाई गयी थीं. जिनके बीच पुरस्कारों का वितरण किया गया.

इस मेले में जादूगोड़ा पुलिस द्वारा सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था की गयी थी. मेले में होने वाला जुआ और हब्बा -डब्बा का खेल पूरी तरह से बंद रहा. जादूगोड़ा थाना प्रभारी ने पूर्व में ही मेला आयोजको को सख्ती से जुआ और हब्बा -डब्बा पर पाबन्दी लगाने के लिए ताकीद कर दी थी.

जनजातीय समुदाय की लोक आस्था से जुड़ा यह टुसू पर्व आगामी 15 दिनों तक अलग -अलग स्थानों पर चलेगा और हर दिन सभी स्थानों पर मेला और मुर्गा पाड़ा भी आयोजित होगा. इन दिनों अधिकतर होटल और श्रमिको पर निर्भर रहने वाले सभी दूकान बंद रहेंगे.

इस मेला के आयोजन को सफल बनाने में लखी चरण सिंह,वीर सिंह,त्रिलोक सिंह,शंकर सिंह,सुखदेव सिंह, महावीर सिंह,शंकर पात्रो आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा.

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